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क्या कहता है विज्ञान, क्यों खड़े हो जाते हैं इंसान के रोंगटे?

आपको भी हॉरर फिल्में देखते हुए डर लगता है और आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं?

या फिर ठंड या सिहरन महसूस होने पर रोंगटे खड़े हो जाते हैं? क्या कभी सोचा है कि आखिर ये रोंगटे खड़े होते क्यों हैं?

रोंगटे खड़े होना जिसे इंग्लिश में goosebumps कहते हैं

बेहद सामान्य शारीरिक घटना है जिसे हमने अपने पूर्वजों से विरासत में हासिल किया है।

हालांकि ये अद्भुत शारीरिक घटना हम लोगों से ज्यादा हमारे पूर्वजों के लिए फायदेमंद थी।

स्किन पर मौजूद हर एक बाल से जुड़ी छोटी-छोटी मांसपेशियों की सिकुड़न और संकुचन की वजह से रोंगटे खड़े होते हैं।

सिकुड़ने वाली हर एक मसल स्किन की सतह पर एक तरह का छिछला गड्डा बनाती है

जिससे आसपास का हिस्सा उभर जाता है।

रोंगटे खड़े होने पर उनके मोटे-मोटे और घने बाल फैल जाते हैं और हवा की थोड़ी सी मात्रा को छिपाकर रख लेते हैं जो इंसुलेशन लेयर का काम करता है।

शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन जिसे ऐड्रेनलिन कहते हैं के अवचेतन अवस्था में रिलीज होने पर रोंगटे खड़े होते हैं।

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