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आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है?

धरती के चारों ओर वायुमंडल यानी हवा है। इसमें कई तरह की गैसों के मॉलीक्योंल और पानी की बूँदें या भाप है।

गैसों में सबसे ज्यादा करीब 78 फीसद नाइट्रोजन है और करीब 21 फीसद ऑक्सीजन।

इसके अलावा ऑरगन गैस और पानी है। इसमें धूल, राख और समुद्री पानी से उठा नमक वगैरह है।

हमें अपने आसमान का रंग इन्हीं चीजों की वजह से आसमानी लगता है।

दरअसल हम जिसे रंग कहते हैं वह रोशनी है। रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं।

जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है।

वे धूल के कणों से बड़ी होती हैं। यानी रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजर नहीं आती।

पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। और यह रोशनी टकराकर चारों ओर फैलती है।

रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है।

यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है

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