ओले क्यों गिरते हैं?

तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है

और यही बादल पानी बरसाते हैं।

लेकिन जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो

वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है।

इन जमी हुई बूंदों पर और पानी जमता जाता है।

धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं।

जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं।

गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं।

लेकिन अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते

वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।