धूप सफ़ेद क्यों नज़र आती है?

प्राथमिक रंग दो प्रकार के होते हैं। एक तो वो जो प्रकाश के रंग होते हैं लाल, हरा और नीला।

और दूसरे वो जो पिगमेंट्स यानी पदार्थों के रंग होते हैं।

यानी वे जिनका प्रयोग हम पेंटिंग आदि में करते हैं। ये हैं लाल, नीला और पीला। इन दोनों में मोटे तौर पर फ़र्क गुणों का है।

एक में जुड़ने का गुण होता है तो दूसरे में घटने का।

जो प्रकाश के प्राथमिक रंग होते हैं वे एडीटिव यानी योगात्मक रंग कहलाते हैं

और पिगमेंट्स के रंग सब्सट्रैक्टिव यानी व्यकलात्मक रंग कहलाते हैं।

अब इन दोनों का अंतर समझ लें। पिगमेंट्स यानी पदार्थ के रूप में उपलब्ध रंगों की ख़ास बात यह होती है कि

वह प्रकाश पड़ने पर सारे रंगों को अवशोषित कर लेती है और सिर्फ़ उसी रंग को परावर्तित करती है जिस रंग की होती है।

जैसे कि आसमान सिर्फ़ नीले रंग को परावर्तित करता है और इसलिए वह नीला दिखाई पड़ता है। साफ़ है कि पदार्थ के रंगों की प्रवृत्ति यह होती है

कि वह वस्तु के रंग को छोड़कर बाकी रंगों को हटा देता है। इसलिए वे कहलाते हैं सब्सट्रैक्टिव यानी व्यकलात्मक रंग।